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Wednesday, April 02, 2008

जान कर भी वो मुझे जान ना पाए , आज तक वो मुझे पहचान ना पाए,
खुद ही कर ली बेवफाई हमने ,ताकि उनपर कोई इल्जाम न आये...


इस जहाँ मे मोहबत काश ना होती ,तो सफर-ए-ज़िंदगी मे मिठास ना होती,
अगर मिलती बेवाफाओ को सजा में मौत ,तो दिवानों कि कब्रें कभी उदास ना होती...


ना जाने ये नज़ारे क्यो उदास रहते है ,ना जाने इन्हें किसकी तलाश रहती है,
ये जान कर की वो किस्मत मे नही है ,फिर भी उन्हें पाने की आस रहती है...


नूर को नूर बना देता है इश्क ,ज़ख्म को नासूर बना देता है इश्क,
कौन कहता है मैं गुनाहों से प्यार करता हूँ ,गुनाह करने को मजबूर बना देता है इश्क...


नज़र ने नज़र से मुलाक़ात कर ली ,रहे दोनो खामोश पर बात कर ली,
मोहब्बत कि फिज़ा को जब खुश्क पाया, इन आँखों ने रो-रो कर बरसात कर ली...


ना जाने तुम पर इतना यकीन क्यों है ,तेरा ख्याल इतना हसीन क्यों है,
सुना है प्यार का दर्द मीठा होता है ,तो आंखो से निकला ये आंसू नमकीन क्यों है...


आँखों मे आँसुओ को उभरने ना दिया ,मिटटी के मोतियों को बिखरने ना दिया,
जिस राह पे पड़े थे तेरे कदमों के निशान ,उस राह से आज तक किसी को गुजरने ना दिया...


कल तन्हा रात में हमे आपकी याद आई ,आपकी याद मिटने के लिए हमने एक सिगरेट जलाई, क़यामत तो आ गई उस वक़्त ,जब कम्बक्त धुए ने भी आपकी ही तस्वीर बनाईं...


आप से दूर जाने का इरादा न था , सदा साथ रहने का वादा भी ना था,
आप याद ना करोगे ये जानते थे हम , पर इतनी जल्दी भूल जायोगे अंदाजा ना था...


मजबूरियाँ हमारी वो जान ना सके , फरमानो को हमारे वो मान ना सके,
कहते है वो हमें मर कर भी चाहेंगे , जीते जी हमे जो पहचान ना सके...

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